जबलपुर के पचमठा मंदिर में होते हैं लघु काशी वृंदावन के दर्शन
न्यूज़ रिकॉल | जबलपुर
संवाददाता : गढ़ा स्थित पचमठा मंदिर में लघु काशी, वृंदावन के दर्शन होते हैं। इस ऐतिहासिक प्रसिद्ध मंदिर का पौराणिक महत्व है। खास बात ये है कि मंदिर में विराजी भगवान कृष्ण और राधा की प्रतिमा किसी के द्वारा उकेरी नहीं गई बल्कि यमुना नदी में मिली थी। इस धार्मिक व रमणीय स्थल में एक अलग तरह की अध्यात्मिक अनुभूति होती है। सुंदर, नक्काशीदार मंदिर की बनावट व शांत और खूबसूरत वातावरण श्रद्धालुओं के साथ ही यहां भक्तिभाव से आने वालों को आनंदित करता है। मंदिर परिसर में राधा,कृष्ण मंदिर के अलावा द्वादश ज्योतिर्लिंग, राम भक्त हनुमान जी के भी दर्शन मिलते हैं पचमठा मंदिर गढ़ा की दूरी रेलवे स्टेशन से पचमठा पांच किमी है। आटो रिक्शा, स्वंय के वाहन से पहुंच सकते हैं।
देश- विदेश से आते हैं भक्त
पचमठा मंदिर कभी देश भर के साधकों के लिए तंत्र साधना का केंद्र हुआ करता था। संत चतुर्भज दास ने मंदिर मे
ं राधा-कृष्ण की प्रतिमा की स्थापना कराई। मंदिर मंहत कामता शरण बताते हैं कि वैसे तो मंदिर बहुत प्राचीन है लेकिन इसका जीर्णोद्वार विक्रम संवत 1660 में कराया गया था यहां लगा शिलालेख आज भी इसके गौरवशाली इतिहास की गवाही देता है।
जन्माष्टमी में यहां वृंदावन की छंटा बिखरती है
स्वामी चतुर्भुज दास ने संस्कृत विद्या के प्रचार के लिए मंदिर प्रांगण में एक विद्यापीठ की स्थापना की थी। राधा वल्लभ संप्रदाय के चतुर्भुज और दामोदरदास ने यमुना नदी से प्राप्त श्रीकृष्ण और राधा की मूर्ति यहां स्थापित की थी। जन्माष्टमी में यहां वृंदावन की छंटा बिखरती है यहां देश-विदेश से भी भक्त आते हैं।
मंदिर परिसर का मनाेरम द्श्य करता है आकर्षित
मंदिर परिसर में ही कई मंदिर स्थापित हैं। मंदिर में विराजे भोलेनाथ और हनुमानलला के भी दर्शन करने श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं